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मंगलवार, 24 फ़रवरी 2009

भूत-प्रेत या फिर यूएफओ ? नहीं, स्प्राइट !




घनघोर अंधेरी रात में आप किसी सूनसान सड़क पर सफर में हैं। आपकी नजर सामने आसमान पर जाती है, और अचानक आसमान में कुछ पल के लिए ये अजीबो-गरीब से आकार वाली रोशनी जगमगा उठती है। एक अनजाना सा डर दौड़ जाता है कि इस जैसी चीज पहले तो कभी नहीं देखी, आखिर ये है क्या ? आसमान में अचानक नजर आने वाली इस अजीब सी चमकदार रोशनी ने लंबे समय तक लोगों के होश उड़ाए हैं। इस अजीब से आकार की रोशनी को कभी लोगों ने भूत-प्रेत समझा तो कभी दूसरी दुनिया से आई यूएफओ। साइंस ने इस अजीब सी रोशनी को गंभीरता से लिया 1989 में, जब एक शोध छात्र सितारों की फोटोग्राफी कर रहा था। उस रात आसमान में तूफानी घटाएं उमड़ रही थीं और इन घटाओं ने सितारों को ढंक लिया था। फिरभी उस शोध छात्र ने इस उम्मीद में कैमरा खुला छोड़ दिया कि शायद कुछ मिल जाए। और कैमरे ने जो कुछ पकड़ा उससे एक नए शोध की शुरुआत हो गई। कैमरे ने आसमान में चमकती इसी अजीब सी रोशनी की तस्वीर खींच ली थी। फिर इस रोशनी का रहस्य खुलना शुरू हुआ और वैज्ञानिकों ने बताया कि ये अजीब से आकार वाली रोशनी न तो भूत-प्रेत है और न ही कोई यूएफओ। बल्कि ये एक हैरतअंगेज प्राकृतिक घटना है, जिसे कहते हैं स्प्राइट। स्प्राइट तभी नजर आती है जब आसमान में तूफानी बादल उमड़-घुमड़ रहे हों। इन घुमड़ते हुए बादलों से फूटती बिजली अपने ऊपर एक आवेशित क्षेत्र का निर्माण करती है, जो बिजली के एक फ्लैश यानि स्प्राइट की कौंध को जन्म देता है। स्प्राइट की घटना को आमतौर पर हम नहीं देख पाते। इसकी एक वजह तो ये कि अपनी फौरी जिंदगी में हम इस कदर उलझे हुए हैं कि अब हमारी नजर आसमान की ओर बहुत कम उठती हैं, और दूसरा ये कि कुदरत का ये अनोखा नजारा बमुश्किल एक से दो सेकेंड के लिए ही नजर आता है। स्प्राइट की ये नई तस्वीर खींची है तेल अबीब यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक कोलिन प्राइस ने। आसमान में बिजली चमकती है करीब 11 से 16 किलोमीटर की ऊंचाई पर जबकि स्प्राइट की जगमगाहट कौंधती है 56 से 129 किलोमीटर ऊपर। यानि जिस वक्त बिजली कौंध रही होती है, ठीक उसी वक्त बिजली के ऊपरी हिस्से में ये अजीब से आकार वाली एक और बिजली यानि स्प्राइट की तेज कौंध जन्म लेती है। धरती से हम कौंधती हुई बिजली को तो देख लेते हैं, लेकिन बिजली के ऊपर बिजली, यानि स्प्राइट को नहीं देख पाते। स्प्राइट की इस तस्वीर में जो चमकीली धाराएं दिख रही हैं, उनकी ऊंचाई 15 मील से भी ज्यादा है और इन चमकीली धाराओं का ये पूरा गुच्छा 45 किलोमीटर से भी ज्यादा बड़े दायरे में फैला है। बिजली के ऊपर बिजली, यानि स्प्राइट क्यों बनती है, और इसका आकार ऐसा अजीबो-गरीब क्यों है। इस बारे में हम अभी ज्यादा कुछ नहीं जानते। अंत में एक खआस बात और, बिजली चमकती है आसमान से धरती यानि ऊपर से नीचे की ओर, जबकि स्प्राइट कौंधने की घटना घटती है आसमान से अंतरिक्ष यानि नीचे से ऊपर की ओर।

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