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बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

मिशन कैप्लर के नतीजों से 'सेटी' जोश में

पृथ्वी जैसे नए ग्रहों की स्पेस ऑब्जरवेटरी कैप्लर की ताजा खोज से सेटी प्रोजेक्ट को जबरदस्त बढ़ावा मिला है। सेटी यानि सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस 40 से ज्यादा साल से किसी परग्रहीय बौद्धिक सभ्यता के रेडियो सिग्नल पकड़ने की कोशिश में जुटा है। एक सितारे के हैबिटेट जोन में पृथ्वी जैसे हैबिटेट ग्रहों की खोज ने उन सबको एक नए जोश से भर दिया है, जो यकीन करते हैं कि हम मानवों जैसी या फिर इससे भी उन्नत बौद्धिक सभ्यता धरती से दूर किसी न किसी ग्रह पर जरूर मौजूद है।
नासा की स्पेस ऑब्जरवेटरी कैप्लर पृथ्वी से मिलते-जुलते ऐसे नए ग्रहों की तलाश कर रही है, जहां जीवन को सहारा देने वाले सभी जरूरी तत्व मौजूद हों। करीब तीन साल की खोज के बाद मिशन कैप्लर ने पृथ्वी जैसे 68 ग्रह खोज निकाले हैं, इनमें से 54 ग्रह अपने सितारे के हैबिटेट जोन यानि इतने सुरक्षित फासले पर हैं, कि वहां पानी तरल रूप में मौजूद हो सकता है। धरती पर हम जीवन के जितने भी स्वरूपों को जानते-समझते हैं, उन सबकी बुनियाद पानी पर ही टिकी है। इसीलिए हैबिटेट जोन में नए ग्रहों की तलाश होने से सितारों से आने वाले रेडियो सिग्नल्स के जरिए बौद्धिक सभ्यता की तलाश कर रहे सेटी के वैज्ञानिक अब नए उत्साह में नजर आ रहे हैं।
उत्तरी कैलीफोर्निया में खास सेटी प्रोजेक्ट को समर्पित कई रेडियो टेलिस्कोप्स का एक पूरा नेटवर्क काम कर रहा है, जिसका नाम है 'एलेन टेलिस्कोप एरे।' सेटी वैज्ञानिकों ने अब यहां के कुछ रेडियो टेलिस्कोप्स को उस सितारे की दिशा में भी घुमा दिया है, जहां कैप्लर मिशन ने पृथ्वी जैसे पांच ग्रहों को इस सितारे के हैबिटेट जोन में खोजा है। माना जा रहा है कि सेटी प्रोजेक्ट को अब शायद कुछ नए नतीजे मिल सकते हैं। सेटी प्रोजेक्ट के मुख्य वैज्ञानिकों में शामिल शेथ शॉस्टैक कहते हैं," कैप्लर के नतीजों की गहराई से पड़ताल बोहद जरूरी है। क्योंकि ये ग्रह हैबिटेट जोन में हैं और ये कहना बेहद मुश्किल है कि जीवन को सहारा देने की स्थितियां किस ग्रह पर कैसी हैं? कैप्लर की खोज ने ये भी साबित कर दिया है कि पृथ्वी जैसे पथरीले ग्रहों की मौजूदगी कोई बहुत खास बात नहीं है। अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे ग्रह शायद उसी तादाद में मौजूद हैं, जितनी कि किसी मिठाई को चारों ओर से घेरे चीटियों का एक बड़ा झुंड। असली बात ये कि पृथ्वी जैसे उस नए ग्रह में जीवन को सहारा देने वाली स्थितियां हैं या नहीं।"

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