‘वॉयेजर’ के पाठकों के लिए हम ‘स्पेस हॉरर’ के नाम से एक नई सीरीज शुरू कर रहे हैं. इस सीरीज में हम पाठकों को अंतरिक्ष अभियानों के दौरान घटे ऐसे हादसों की जानकारी देंगे, जब अंतरिक्षयात्रियों की जान खतरे में आ गई थी.
“कोई भी मुसीबत इतनी खराब नहीं होती, कि आप उसे और भी बदतर न बना सकें,” किसी शुरुआती अंतरिक्षयात्री की कही ये एक मशहूर कहावत है. इस कहावत को ध्यान में रखते हुए कल्पना कीजिए कि आप एक अंतरिक्षयात्री हैं जो स्पेसवॉक करके इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के बाहर कुछ मरम्मत का काम कर रहे हैं. तभी अचानक आपको कुछ भी नजर आना बंद हो जाए, आंखें खुली हैं लेकिन आप कुछ भी देख नहीं पा रहे हैं, आप अंधे हो गए ! टोटल ब्लाइंड ! आप धरती से करीब 400 किलोमीटर ऊपर खुले अंतरिक्ष में फंसे हैं जहां स्पेससूट के अलावा आपकी और कोई सुरक्षा नहीं है. ऐसे में अब आप क्या करेंगे ? आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी ?
कनाडा के रिटायर्ड अंतरिक्षयात्री और कुशल वक्ता क्रिस हैडफील्ड, जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के एक्सपीडिशन 35 के कमांडर भी थे, ने 2001 में ऐसे ही गंभीर हालात का सामना किया था. हैडफील्ड बताते हैं कि ऐसे हालात में नॉलेज, प्रैक्टिस और अंडरस्टैंडिंग ही डर का मुकाबला करने के लिए सबसे बेहतरीन हथियार साबित होते हैं. इस संबंध में दिए एक व्याख्यान में उन्होंने बताया कि जिस तरह एक मकड़ी अपने ही बुने जाल पर सावधानी से चलकर खुद को फंसने से बचाते हुए शिकार करने में कामयाब रहती है, ऐसी ही सतर्कता को अपनाकर हम अंतरिक्ष में कई खतरों का आसानी से मुकाबला कर सकते हैं.
हैडफील्ड ने कहा, “तो अगर आप इन मकड़ियों से डरते हैं और सोंचते हैं कि ये आपको काट लेंगी और इनके जहर से आपकी मौत हो जाएगी तो आप कभी इनका सामना नहीं कर सकेंगे. मकड़ियों से घबराइए मत, इनसे सीखिए. इसी तरह अंतरिक्ष में कोई गंभीर खतरा सामने आने पर अगर आप उससे डरकर दूर भागेंगे और अपनी जान बचाने की तरकीब ढूंढेंगे तो समस्या का समाधान कभी नहीं कर सकेंगे. ध्यान रखिए हर समाधान हमेशा अपनी समस्या में ही छिपा रहता है. बस जरूरत इस बात की होती है कि बिना होश गंवाए आप उसे खोज निकालें. स्पेस शटल की पहली 5 उड़ानों के वक्त किसी अनहोनी के घटने की संभावना हमेशा 9 में से 1 रहती थी. जब 1995 में मैं पहली बार अंतरिक्ष गया और स्पेस स्टेशऩ मीर पहुंचा तो उस वक्त किसी हादसे के घटने की संभावना 38 में से 1 की थी. ”
क्रिस हैडफील्ड ने व्याख्यान में अपने साथ अंतरिक्ष में पेश आए उस हादसे के बारे में भी बताया जब उनकी जान पर बन आई थी. 2001 में स्पेस शटल मिशन STS-100 के अंतरिक्षयात्रियों में कनाडा के क्रिस हैडफील्ड भी शामिल थे. हैडफील्ड मिशन के दौरान स्पेस शटल से बाहर स्पेसवॉक कर रहे थे तभी अचानक उनके हेलमेट में कोई चीज भर गई और उन्हें बाहर कुछ भी दिखाई देना बंद हो गया था. हैडफील्ड स्पेस शटल से बाहर थे और तभी अचानक उन्हें बाहर के नजारे दिखाई देने बंद हो गए. हेलमेट की पूरी स्क्रीन पर कोई तरल पदार्थ बिल्कुल पेंट की तरह फैल गया था. बिल्कुल अंधे से हो गए हैडफील्ड ने धीरज नहीं खोया और अपनी घबराहट को काबू में रखा. उन्होंने सबसे पहले स्पेस शटल के साथियों को जानकारी दी और फिर ह्यूस्टन कंट्रोल रूम को बताया कि वो स्पेस शटल से बाहर हैं और खुले अंतरिक्ष में उनकी स्थिति बिल्कुल किसी अंधे के जैसी हो गई है. कोई कुछ समझ पाता और हैडफील्ड को कोई समाधान मिल पाता इससे पहले हैडफील्ड ने खुद को स्पेस शटल से जोड़ने वाले केबल टेथर को टटोला और उसे पकड़-पकड़ कर वो सुरक्षित स्पेस शटल के भीतर आने में कामयाब रहे.
कनाडा के अंतरिक्षयात्री क्रिस हैडफील्ड के साथ घटी इस दुर्घटना के कुछ महीने बाद इटली के एक अंतरिक्षयात्री के साथ भी ऐसा ही हादसा घट गया. इटली का वो अंतरिक्षयात्री भी स्पेसवॉक कर रहा था, कि तभी ऑक्सीजन उपकरण में खराबी के चलते उसके नासा स्पेससूट में पानी भर गया था. पानी अंतरिक्षयात्री के हेलमेट में भी भरने लगा था और उस अंतरिक्षयात्री की जान पर बन आई थी.
अंतरिक्ष अभियानों में घटी हर दुर्घटना सुरक्षा के कुछ नए तरीकों को जन्म देती है. हैडफील्ड और इटली के अंतरिक्षयात्री के साथ स्पेस वॉक के दौरान पेश आए हादसों की विस्तार से जांच की गई. स्पेस सूट और ऑक्सीजन उपकरणों मे नए सुधार किए गए. इन हादसों ने स्पेस वॉक को अब और भी ज्यादा सुरक्षित बना दिया.
“कोई भी मुसीबत इतनी खराब नहीं होती, कि आप उसे और भी बदतर न बना सकें,” किसी शुरुआती अंतरिक्षयात्री की कही ये एक मशहूर कहावत है. इस कहावत को ध्यान में रखते हुए कल्पना कीजिए कि आप एक अंतरिक्षयात्री हैं जो स्पेसवॉक करके इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के बाहर कुछ मरम्मत का काम कर रहे हैं. तभी अचानक आपको कुछ भी नजर आना बंद हो जाए, आंखें खुली हैं लेकिन आप कुछ भी देख नहीं पा रहे हैं, आप अंधे हो गए ! टोटल ब्लाइंड ! आप धरती से करीब 400 किलोमीटर ऊपर खुले अंतरिक्ष में फंसे हैं जहां स्पेससूट के अलावा आपकी और कोई सुरक्षा नहीं है. ऐसे में अब आप क्या करेंगे ? आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी ?
कनाडा के रिटायर्ड अंतरिक्षयात्री और कुशल वक्ता क्रिस हैडफील्ड, जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के एक्सपीडिशन 35 के कमांडर भी थे, ने 2001 में ऐसे ही गंभीर हालात का सामना किया था. हैडफील्ड बताते हैं कि ऐसे हालात में नॉलेज, प्रैक्टिस और अंडरस्टैंडिंग ही डर का मुकाबला करने के लिए सबसे बेहतरीन हथियार साबित होते हैं. इस संबंध में दिए एक व्याख्यान में उन्होंने बताया कि जिस तरह एक मकड़ी अपने ही बुने जाल पर सावधानी से चलकर खुद को फंसने से बचाते हुए शिकार करने में कामयाब रहती है, ऐसी ही सतर्कता को अपनाकर हम अंतरिक्ष में कई खतरों का आसानी से मुकाबला कर सकते हैं.
हैडफील्ड ने कहा, “तो अगर आप इन मकड़ियों से डरते हैं और सोंचते हैं कि ये आपको काट लेंगी और इनके जहर से आपकी मौत हो जाएगी तो आप कभी इनका सामना नहीं कर सकेंगे. मकड़ियों से घबराइए मत, इनसे सीखिए. इसी तरह अंतरिक्ष में कोई गंभीर खतरा सामने आने पर अगर आप उससे डरकर दूर भागेंगे और अपनी जान बचाने की तरकीब ढूंढेंगे तो समस्या का समाधान कभी नहीं कर सकेंगे. ध्यान रखिए हर समाधान हमेशा अपनी समस्या में ही छिपा रहता है. बस जरूरत इस बात की होती है कि बिना होश गंवाए आप उसे खोज निकालें. स्पेस शटल की पहली 5 उड़ानों के वक्त किसी अनहोनी के घटने की संभावना हमेशा 9 में से 1 रहती थी. जब 1995 में मैं पहली बार अंतरिक्ष गया और स्पेस स्टेशऩ मीर पहुंचा तो उस वक्त किसी हादसे के घटने की संभावना 38 में से 1 की थी. ”
क्रिस हैडफील्ड ने व्याख्यान में अपने साथ अंतरिक्ष में पेश आए उस हादसे के बारे में भी बताया जब उनकी जान पर बन आई थी. 2001 में स्पेस शटल मिशन STS-100 के अंतरिक्षयात्रियों में कनाडा के क्रिस हैडफील्ड भी शामिल थे. हैडफील्ड मिशन के दौरान स्पेस शटल से बाहर स्पेसवॉक कर रहे थे तभी अचानक उनके हेलमेट में कोई चीज भर गई और उन्हें बाहर कुछ भी दिखाई देना बंद हो गया था. हैडफील्ड स्पेस शटल से बाहर थे और तभी अचानक उन्हें बाहर के नजारे दिखाई देने बंद हो गए. हेलमेट की पूरी स्क्रीन पर कोई तरल पदार्थ बिल्कुल पेंट की तरह फैल गया था. बिल्कुल अंधे से हो गए हैडफील्ड ने धीरज नहीं खोया और अपनी घबराहट को काबू में रखा. उन्होंने सबसे पहले स्पेस शटल के साथियों को जानकारी दी और फिर ह्यूस्टन कंट्रोल रूम को बताया कि वो स्पेस शटल से बाहर हैं और खुले अंतरिक्ष में उनकी स्थिति बिल्कुल किसी अंधे के जैसी हो गई है. कोई कुछ समझ पाता और हैडफील्ड को कोई समाधान मिल पाता इससे पहले हैडफील्ड ने खुद को स्पेस शटल से जोड़ने वाले केबल टेथर को टटोला और उसे पकड़-पकड़ कर वो सुरक्षित स्पेस शटल के भीतर आने में कामयाब रहे.
कनाडा के अंतरिक्षयात्री क्रिस हैडफील्ड के साथ घटी इस दुर्घटना के कुछ महीने बाद इटली के एक अंतरिक्षयात्री के साथ भी ऐसा ही हादसा घट गया. इटली का वो अंतरिक्षयात्री भी स्पेसवॉक कर रहा था, कि तभी ऑक्सीजन उपकरण में खराबी के चलते उसके नासा स्पेससूट में पानी भर गया था. पानी अंतरिक्षयात्री के हेलमेट में भी भरने लगा था और उस अंतरिक्षयात्री की जान पर बन आई थी.
अंतरिक्ष अभियानों में घटी हर दुर्घटना सुरक्षा के कुछ नए तरीकों को जन्म देती है. हैडफील्ड और इटली के अंतरिक्षयात्री के साथ स्पेस वॉक के दौरान पेश आए हादसों की विस्तार से जांच की गई. स्पेस सूट और ऑक्सीजन उपकरणों मे नए सुधार किए गए. इन हादसों ने स्पेस वॉक को अब और भी ज्यादा सुरक्षित बना दिया.
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